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श्रीमधिरविजयोपाध्याय कृत,
॥ अथ अमृतसरशीतल जिन
स्तवन । चलो खेलिये होरी । शीतल जिन नाथ जयोरी॥च ॥ श्रांकणी ॥ आये वसंत फूली वनराजी । नमर गुंजारं न. योरी। माकंदमंजर सुंदर चारवी । कोकिल शोर थयोरी । मेरोमन अति उलस्योरी ॥ च ॥१॥ मोघर चंपक केतकी फुली। और फुली चित्रवेदी। चंबेली मुचकुंद ज फुली। दमनक कलियां मोरी प्रजुजीकी पूजा रचोरी॥च ॥१॥ कुशमानरण करी प्रजु पूजो। ज्यु पामो नव पारी । केसर रंग के तिलक लगावो। धुप घटी विरचावो । नवि तुमे नावना नावो ॥ च ॥३॥ ताल मृदंग विण मफ बाजत । तुंगल गाजत नेरी। गीत नृत्य प्रनुजीके आगे । करंत मिटत नव फेरी। वसंतकी बाहार नलेरी ॥ च ॥४॥ नं