SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५६ श्रीमधिरविजयोपाध्याय कृत, ॥ अथ अमृतसरशीतल जिन स्तवन । चलो खेलिये होरी । शीतल जिन नाथ जयोरी॥च ॥ श्रांकणी ॥ आये वसंत फूली वनराजी । नमर गुंजारं न. योरी। माकंदमंजर सुंदर चारवी । कोकिल शोर थयोरी । मेरोमन अति उलस्योरी ॥ च ॥१॥ मोघर चंपक केतकी फुली। और फुली चित्रवेदी। चंबेली मुचकुंद ज फुली। दमनक कलियां मोरी प्रजुजीकी पूजा रचोरी॥च ॥१॥ कुशमानरण करी प्रजु पूजो। ज्यु पामो नव पारी । केसर रंग के तिलक लगावो। धुप घटी विरचावो । नवि तुमे नावना नावो ॥ च ॥३॥ ताल मृदंग विण मफ बाजत । तुंगल गाजत नेरी। गीत नृत्य प्रनुजीके आगे । करंत मिटत नव फेरी। वसंतकी बाहार नलेरी ॥ च ॥४॥ नं
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy