________________
१५०
श्रीमवीरविजयोपाध्याय कृत,
रीवेला मौन वृतधारी शोना नहीं प्रजु इनमे तुमारी। तुम प्रजुतारक जगजयकारी तुमपर वारी हुंजाजरे हजारी॥ सा ॥४॥ तातमेघ मात मंगला तिहारी वंस श्दवागमे हुवो अवतारी।जाव सहित करे नक्ति तिहारी तेहोवेशीवरमणी अधिकारी ॥ सा ॥५॥ नगर जे: पुरमे आनंदकारी सुमति जिनेश्वरहे दातारी लक्ष्मी विजय गुरु आणाकारी वीरविजय मांगे जवपारी ॥ सा ॥६॥
॥इति ॥
॥अथ राणकपुर मंडन स्तवन ॥ ॥ नेमी सरबनडेने गिरनारी जाता
॥ए देशी ॥ .. साजन हे राणकपुर महाराज आज जले नेटिया हो राज मिथ्यातिमिर श्रनादरोहो राज ॥ सा ॥ पुर कीयोमें श्रा