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________________ N १२० श्रीमवीरविजयोपाध्याय कृत, गिरनार लिये व्रत नारके ऊगमा पुरकरी॥ मेरे ॥२॥ तपजप संजम कीरिया धारी। प्रजुजी वसीया गढ गिरनारी । नेम प्रजु की हुं बलिहारी। पामी केवलज्ञान थया शीवराणके अघ सब उरकरी ॥ मेरे ॥३॥ तुमेतो हो प्रजु साहिब मेरा । हमतो हे प्रजुसेवक तेरा थमने घाले तुमसें घेरा। मुजे उतारो पार मेरा सरदारके जेम पुख जायटरी ॥ मेरे ॥४॥ श्याम वरण तनुं शोनासारी । मुख मटकाj बबी हे न्यारी नेम प्रजुकी मुरती प्यारी । वीरविजयनी बात सुणो एक नाथके नवोनव तुंही धणी ॥ मेरे ॥५॥ इति श्री नेमनाथ जिनस्तवन॥ ॥ अथ श्री पार्श्व जिन स्तवन ॥ राग पंजाबी टपो॥ मोरी बश्यां तो पकड सुखकारी खाम तो पार्श्वनाथ
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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