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________________ स्तवनावली. १२५ AVANAM ॥ अथ श्रीमुनिसुव्रत जिन स्तवन। रासधारी की देशी ॥ जिनंदजी एह संसारथी तार। मुनिसुव्रत जिनराज आ. जमोहे एह संसारथी तार ॥ श्रांकणी॥ ॥ पद्मावती जिको नंदन निरखी हरषित तनमन धाय ॥ जि० ॥ कबपलंडन प्रजुपद् थारे शामल वरण सोहाय ॥ शा ॥ मु॥१॥ लोकांतिक सुर अवसर देखी प्रतिबोधन कुंवाय ॥ जि ॥राज काज सब बोड दश्प्रज्जु संजमशुचितलाय ॥सं ॥ मु ॥२॥ तपजप संजम ध्यानानलथी कर्म इंधन जलजाय ॥ जि ॥ लोकालोक प्रकाशिक अद्भुत केवल झान तुं पाय ॥ के ॥ मु॥३॥ ज्ञानमे नाली करुणा धारी जीवदया चितलाय मित्र अश्व उपगार करणकुं नरुथड नगरमे आय ॥ ज ॥ मु॥४॥ अश्व उगारी बहु जनतारी अजर अमर पद
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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