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पदो.
अथ आत्मोपदेश पद. राग ( गुजरी ).
तैं तेरा रुपकुं पायारे सुज्ञानी तें तेरा | श्रांचली । सुगुरु सुदेव सुधर्म रस जीनो । मिथ्या मत बिटकायारे ॥ सुज्ञानी ॥ १ ॥ धार महावत सम रस लीनो । सुमति गुप्ति सुनायारे ॥ सुज्ञानी ॥ २ ॥ इंद्रिय मन चंचल वश कीने। जायो मदन कुरायारे ॥ सुज्ञानी ॥ ३ ॥ स्याद्वाद अमृतरस पीनो । भूले नहीं जुलायारे ॥ सुज्ञानी ॥ ४ ॥ निश्चय व्यवहारे पंथ चाब्यो । उर्नय पंथ मिटायारे ॥ सुज्ञानी ॥५॥ अंतर निश्चय बहि व्यवहारे । विरजीनंद सुनायारे ॥ सुज्ञानी ॥ ६ ॥ श्रात्मानंदी अजर अमरतुं । सतचिद यानंद रायारे | सुझानी ॥ ७ ॥ इति पदो संपूर्ण. श्री मन्मलि जिन स्तवन. मलीजीन दरसन नयनानंद ॥ ए - चली ॥ नीलवरण तनु विमन मोहे |
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