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________________ अणुपरीक्षण प्रतिव च एव नि शस्त्रीकरण जोर पकडा । सन् 1945 म सानफ्रान्सिसको म सयुक्त राष्ट्र का चाटर बनाया गया, जिसके 26 वें अनुच्छेद म उल्लेख है कि संघ की सुरक्षा परिषद शस्त्रास्नो के विनिमय के लिए कोई न काई हल ठेगी।' इन शदा से सयुक्त राष्ट्रसघ का कत्तव्य हो गया था कि वह एतदय ठोस विचार करे । तब से आज तक वहतर राष्ट्र अणुशस्त्रा पर नियत्रण के लिए प्रयत्नशील रहे हैं। किन्तु अभी तक पाशा की प्राभातिक किरण का उदय दृष्टिगत नहीं हुआ । बल्कि इसके विपरीत परीक्षणावी प्रतिस्पर्धा को ही प्रोत्साहन मिला और प्रक्षेपणास्त्र जसे तीन सहारक शस्मा के निमाण म प्रचुर अथ व्यय हुमा। जसा कि ऊपर सूचित किया जा चुका है कि भारत अपने शान्तिपूर्ण प्रयत्ला के लिए प्रसिद्ध रहा है। वह चाहता है कि शस्त्रो के निमाण व सरक्षण से जो महाहिंसा को प्रोत्साहन मिलता है, वह सदा के लिए बद हो । शस्त्रास्त्र परीक्षण शान्ति का माग नहीं, शाति अहिंसा में निहित है । इसी भारतीय कल्याणकारी नीति को लेकर भारत के प्रधानमनी प० जवाहरलाल नेहरू नि शस्त्रीकरण पर बहुत अधिक जोर दे रहे हैं। उहान कई राष्ट्रो के प्रधाना को पुन -पुन लिखकर सचेप्ट किया कि वे आणविक शस्त्रा का परीक्षण बन्द कर विश्व शान्ति स्थापन म योग द।' पर इसका परिणाम यही रहा कि सभी राष्ट्र कहने लगे कि अमुक राष्ट्र यदि परीक्षण बन्द करेगा तव ही हम अपने प्रयोग स्थगित कर सकते हैं। दिनानुदिन अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण म तनाव और खोचातानी बढती ही जा रही है । शीत युद्ध को सृष्टि भी होने लगी है। नि स्त्रीकरण वाछनीय होते हुए भी इसका माग क्टकाकीण है। प्रथम प्राणविक अस्त्रो पर नियत्रण क्स और कब से लगाया जाए ? द्वितीय, सामान्य शस्त्रास्त्राम विस सीमा तक कमा की जाय ? 1948 से लेकर आज तक इन कटिनाइया को हल करने का अथक प्रयत्न किया गया है, लेकिन कभी पश्चिमी दश या अमरिका नहीं मानता है तो कभी रूस स्ट जाता है । अमेरिका तथा इग्लण्ड आदि पाश्चात्य दा चाहत हैं कि सबमे पहल एक अतर्राष्ट्रीय नियत्रण सस्था बना ली जाए और फिर प्राणविष अस्या का निमाण ही सदा के लिए समाप्त कर दिया जाए और रूस तथा
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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