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________________ बाईस अणुपरीक्षण प्रतिवन्ध एवं निःशस्त्रीकरण आज की अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियो को दृष्टिगत रखते हुए किसी को भी प्रसन्नता का अनुभव नहीं होता। निप्पक्ष और शान्ति वाछुक पर्यवेक्षक अमेरिका तथा पाश्चात्य देशो के वीच शस्त्रीकरण या अणुपरीक्षण के प्रतिस्पर्धामूलक दृप्किोण से दुखी होते है। आज दो दलो मे ससार विभक्त है। एक दल में अमेरिका व तदनुयायी राष्ट्र है तो दूसरे मे रूस व उसके अनुगामी राष्ट्र। दोनो मे विचार वैपम्य है। दोनों के प्रचार और विचारविस्तार के अपने-अपने तरीके है। ___14 अगस्त, 1940 को अमेरिका के राष्ट्रपति रूज़वैल्ट तथा इग्लैण्ड के प्रधानमंत्री सर विंस्टन चचिल की भेंट स्वरूप एटलांटिक सधि सम्पन्न हुई जिसमे कहा गया था कि "हमारा विश्वास है कि ससार के समस्त देशों को वास्तविक अर्थात् भौतिक एवं आध्यात्मिक कारणो से शक्ति के प्रयोग को अवश्य ही वन्द कर देना चाहिए।" इसका तात्पर्य यही था कि प्रत्येक राष्ट्र की पारस्परिक विरोधी समस्यायो का समाधान वार्तालाप के द्वारा ही हो, जिससे युद्ध के नाम पर धन-जन का विनाश न हो। युद्ध में किया जाने वाला व्यय यदि जनमगलकारी कार्यो पर लगाया जाए तो युद्ध के कारण ही सदा के लिए ससार से विदा हो जाएंगे। ___ सन् 1942 मे पुन. इग्लैण्ड, अमेरिका, रूस और चीन ने सामूहिक घोषणा की थी कि युद्ध की समाप्ति के पश्चात् वे सब मिलकर शस्त्रास्त्र विनिमय की व्यवस्था करेगे । वस्तुतः दो विश्व युद्धो की विनाश लीला से वे सब स्वाभाविक रूप से ही सूचित विचार पर आ गए थे। दूसरे महायुद्ध के समय अमेरिका के पास अणु वम थे, जिनका प्रयोग उसने किया । इस युद्ध की समाप्ति के बाद नि शस्त्रीकरण की चर्चा ने पुनः
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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