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शुद्धिपत्रक.
पान.
शुद्ध.
११
निसर्ग
अशुद्ध विसर्ग सम्पूर्ण ध्याया -माणोऽपि
सम्पूर्ण ध्याता -माणेऽपि
है
भावितो
सत्पुरुषोंको
१२०
भाविनो सत्पुरुपोंने वीतराग वीक्षणं पष्ट प्रकारका (विषय)
१३४ १३४
१३४
वीतराय वक्षणं पठं प्रकारका वध्य देयेके लगाते होना
वृद्ध
१४८ १९९ २१५
२१७
पड्डाकाव्ये
२१९ २२३ २२६ २३१ २३२ २३३
देनेके लगते होती पकाये समग्र ऐसे जय विजय अग्निसे पनियोगः जीवोंके उसका तुषखण्डनम् रागादिक
इससे
अयं
समझ ऐसे विजय अग्निने षडियोगः जीवोंका उनका. तुपकण्डनम् . समादिक इसने भयं क्षतिम् जागो भोगाविपत्यम् स्यात्यच योग्य सिध्यन्त्या वही वन वायुः
२४१ २४२ २४३ २४९ २६२ २६८ २५९
क्षितिम्
जानो भोगाधिपत्यमू स्यात्पञ्च अयोग्य सिध्यन्य वही पवन वायु
२७७
२९३
३०२