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प्रेमी-अभिनदन-ग्रंथ
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आवश्यक या अपरिहार्यं है कि एक भाषा का प्रयोग करने वाले के लिए दूसरी भाषा के शब्दो के सम्वन्ध में कुछ व्याख्या दी जाय जिससे वह उन शब्दो को भली प्रकार समझ सकें। मान लीजिये कि किसी देशी भाषा-भाषी को कोई ऐमा विदेशी शब्द समझाना है, जिसे केवल उस विदेशी शब्द के उच्चारण- मात्र से वह नही समझ सकता, तव यह श्रावश्यक हो जाता है कि उस विदेशी शब्द का अनुवाद देशी भाषा में इस प्रकार दिया जाय कि देशी भाषा-भाषी उसे समझ सके। इस प्रकार के अनुवादमूलक समास या समस्त पद (Translation-compounds ) सभी भाषाओ मे मिलते है, जो किसी जीवित भाषा के सम्पर्क में आकर उनसे प्रभावित हुई है ।
उदाहरणार्थ अग्रेजी भाषा को लीजिए। प्राचीन मध्य-श्रग्रेजी-काल में, जब कि नार्मन फ्रेंच तथा अग्रेजी इग्लैड मे साथ-साथ वोली जाती थी, तत्कालीन लिखित साहित्य में इस प्रकार की व्याख्याएँ मिलती है —— जैसे कि लगभग १२२५ ईस्वी में लिखी हुई पुस्तक Anchene Rimile में – Cherité thet is luve; in desper anuce that is in unhope and in unbleave forte beon iboruwen, understondeth thet two manere temptaciuns-two kunne vondunges-beoth, pacience thet is tholemodnesse, lecher re thet is golnesse, ignorance that is wisdom and martenesse, इत्यादि (देखिए - Jespersen, ‘Growth and Structure of the English Language, Oxford, 1927, P 89 )
जव इग्लैंड मे फ्रेंच का विशेष चलन था और उसके शब्द अधिकाश में अपनाये जा रहे थे, तव शायद उपर्युक्त रीति अधिक प्रचलित हो गई थी, जिससे बाहरी भाषाओ के उपयुक्त शब्दो को भाषा में चालू किया जा सके । मध्यश्रग्रेज़ी काल के कवि (Chaucer) चॉसर ने ऐसे दर्जनो जुमले इस्तेमाल किये है, जिनमें कोई भाव फ्रेंच शब्द के द्वारा प्रकट किया गया है और फिर उसी की व्याख्या और अनुवाद एक अग्रेजी शब्द द्वारा किया गया है, या एक अग्रेजी शब्द की पुष्टि फेच शब्द के द्वारा करा दी गई है ( देखिए, येस्परसेन, वही पृ० ९8 ), उदाहरणार्थ - he coude songes make and wel endyte, faire and fetisly, sminken with his handes and labome, of studie took he most cure and most hede; poynaunt and sharp; lord and sire कैक्स्टन (Caxton) के ग्रंथो में — bonom and worship, olde and anmcyent, advenge and weke, feblest and wekest, good ne proffyt, fonwle and dishonestly, glasse or m11 01, इत्यादि । अग्रेजी में फ्रेंच शब्द विलकुल स्वाभाविक हो गये है, और श्रव इस बात की आवश्यकता नही है कि इन शब्दो को समझाने के लिए अग्रेजी में व्याख्या दी जाय ।
भारतीय आर्य भाषाओ में विदेशी शब्दो को किसी देशी या अन्य ज्ञात शब्द के द्वारा स्पष्ट करने की प्रथा मिलती है। इनमें अनेक समस्त - पद (Compounds) पाये जाते हैं, जिनमें दो शब्द होते है और दोनो प्राय एक ही अर्थ के सूचक होते हैं । नव्य भारतीय आर्य भाषा के अनुवाद-मूलक शब्दो मे वे पद स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होते हैं, जिनमें एक शब्द विदेशी होता है, या एक ऐसा नया विदेशी शब्द होता है, जिसकी व्याख्या एक प्राचीन या प्रचलित शब्द के द्वारा दी होती है। इन अनुवादमूलक समस्त पदो में प्राय वडी शक्ति होती है और कभी-कभी वे किसी बात को विशिष्ट रूप से प्रकट कर देते है । विदेशी या नये शब्द किसी अभिप्राय के नवीन दृष्टिकोण को सूचित करते है । यहाँ वँगला भाषा से कुछ उदाहरण दिये जाते है -
चा-खडी = चाक (ब्लैकवोर्ड पर लिखने के लिए) । यह अग्रेजी के उस चौक् या चोक शब्द का समस्तपद है, जो पहले-पहल आमतौर पर लोगोकी समझ में नही श्राता था, और जिसका अग्रेजी में उच्चारण चाकू तीन या चार पीढियो पहले था । इसके साथ बँगला की खडी (खडिया) शब्द मिलाने से चाक खडी या चाखडी हो गया ।
पाउँ-रुटी (= हिन्दी पाउँ-रोटी ) पुर्तगाली pac, paon पाओ (रोटी, उच्चारण पाउ) + वगला रुट्टी, हिन्दुस्तानी रोटी (चपाती) समास का पद अग्रेजी तन्दूर की रोटी या खमीर दी हुई रोटी के अभिप्राय मं श्राता है, जो हिन्दुस्तान में प्रचलित चपाती से भिन्न है ।