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________________ ६१८ प्रेमी-प्रभिनदन- प्रथ सींगन के बीच भयन दुबीच भौंरी हो वीच सो हुइ असल परैला मोरे जात बजार छैला, लाल ! न अनोखे वैला मोरे जात बजारें छैला, लाल ! ३ - मानो गूजरी काहांना सें मुगला चले, री मानो, काहाना लेत मिलान पच्छम से मुगला चले, री मानो, श्रग्गम लेत मिलान ऊँचे चढ के मानो हेरियो, कोई लग गए मुगल वजार हुक्म जो पाऊँ रानी सास को, में तो देखि श्राऊँ मुगल बजार मुगला को का देखना, री मानो, मुगला मुगद गवार सास की हटकी में न मानों में तो देखि श्राऊँ मुगल बजार जो तुम देखन जात हो, री मानो, कर लो सोरहो सिंगार तेल की पटियां पार लई मानो सिदरन भर लई मांग माथे बीजा श्रत वनो मानो बन्दिन की छव नियार चलीं चलीं मानो हुना गई रे कोई गई कुम्हरा के पास अरे अरे भइया कुम्हरा के रे, एक मटकी हमें गढ़ देउ एक मटकिया का गढ़ री मानो मटकी गढ़ों दो-चार एक मटकिया ऐसी गढो रे भइया जा में दहिया बने और दूध अरे अरे भइया कुम्हरा के तुम कर दो मटकिया के मोल पाँच टका की जाकी बौनी है, री मानो लाख टका को मोल पाँच टका घरनी घरे, कुम्हरा के, मटकी लई उठाय दहियो- दूष जा में भर लियो, रीमानो, देख आयो मुगल बजार चली चली री मानो हुना गयो रे कोई गई मुगल के पास पहली टेर मानो मारियो -रे कोई दहिया लेत के दूध दही दूध के गरजी नहीं रे मानो घघटा कर दो मोल दूजी टेर मानो मारियो रे कोई मुगल लई पछिप्राय लौट आायो मानो बदल श्रायो रे मोरी रनियाँ देखे श्रायो रनियाँ को का देखना रे मुगला ऐसी रैतीं मोरि गुबरारि लौट आायो मानो बदल श्रायो मेरे कुंवरन देखे जायो कुँवरन को का देखना, रे मुगला, मेरे रैते ऐसे गुलाम लोट आायो मानो बदल प्रायो मेरे हतिया देखे जायो हतियन को का देखना रे मुगला मेरी भूरी भैंस को मोल घुंघटा खोलत दस मरे रे मुगला बिन्दिया देख पचास
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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