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प्रेमी-अभिनंदननाथ "अरे, वही-अल्ला मियां बडे सयाने। पहले ही काट लिये दो भाने।"
हंसते-हंसते दादा पूरी कहानी सुना देते हैं। कभी जब पस्सू किसी से नाराज होकर रोने लगता है तो प्रेमीजी उसके कान मे वही भल्ला मियां वाला मन्त्र फूंक देते है और वह खिलखिलाने लगता है।
इस प्रकार की अनेको घटनाएँ उस घर में देखता हूँ। ये घटनाएँ छोटी अवश्य है, पर ऐसी घटनामो से हमारे परिवारो मे मधुर रस का सचार होता है।
प्रेमीजी की प्राशा अपने इन्ही दोनो पोतो पर निर्भर है। वे योग्य हो जाये तो उनके कन्धो पर सारा दायित्व सौंपकर चुपचाप दुनिया से विदा ले ले, यही उनकी अभिलाषा जान पडती है। बम्बई
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