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________________ बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल भगवान को दया की सुन्दरगाथा है । स्थान प्राकृतिक दृश्यो से सुशोभित है । वेतवा (वेत्रवती) की छटा दर्शनीय है। ऊँचे-ऊँचे कगारो पर घने वृक्ष है । लतिकाएँ जल का स्पर्श करती है । वनस्थली में वन्य पशुओ का बाहुल्य है और सरिता में यहाँ-वहाँ द्वीप वने है । सारस और वगुला क्रीडा करते रहते है। ६ (क) महोवा-यह चन्देल काल का पुराना स्थान झाँसी-मानिकपुर रेल की लाइन पर ब्रिटिश भारत में है । चन्देलकाल के बडे-बडे तडाग, आल्हाऊदल की बारादरी, कीर्तिसागर, जिसकी प्रशसा आल्हाचरित मे वर्णित है, वहाँ की पुरातन स्मृतियो को सजीव करते है। (ख) राठ व कुल पहाड-मे भी पुरातन-स्थान तया वेलाताल और विजयनगरताल दर्शनीय है। यहाँ पर दर्जनो मन्दिर, मठ, स्मारक, प्रकृति की गोद मे विखरे पडे है। जहाँ भी शिलालेख होता है, हमारे अशिक्षित ग्रामीण और शिक्षित नागरिक भी उसे वीजक समझते है, जिसमे गुप्त धन की प्राप्ति का साधन लिखा मानते हैं। अत वे नष्ट कर दिये जाते है और इस प्रकार इस देश का अमूल्य धन नष्ट हो जाता है। (२) हिन्दू तीर्थ १ चित्रकूट-झाँसी मानिकपुर रेल लाइन पर चित्रकूट स्टेशन है। कर्वी मे उतरना अधिक सुविधाजनक होता है । हिन्दुओ का यह तीर्थ सारे भारत में प्रसिद्ध है। प्रधान दर्शनीय स्थल (अ) बांकेसिद्ध-सिद्धपुर ग्राम के पास प्रपात है । झरने का जल दो कुण्डो मे एकत्र होता है। (ब) कोटितीर्थ-पर्वत मे दो मील पर है । कोटि मुनियो ने यहाँ तप किया था। यहाँ धर्मशाला भी है । (स) देवागना-प्रपात है। मन्दिर है। (द) हनुमानधारा-सव प्रपातो से रमणीक है । हनूमान जी की मूर्ति पर जल गिरता है। (इ) प्रमोदवन-उद्यान के प्रकार का वन है। (क) सिरसावन-वन है। (ख) जानकीकुण्ड-सिरसावन से एक मील है । पयस्विनी सरिता की शाखा मन्दाकिनी यहाँ पथरीली भूमि पर बहती है। (ग) अनुरूपाजी-महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी का स्थान है। घना जगल है । (घ) स्फटिकशिला-बडी भारी पत्थर की शिला पहाड पर है । रामायण में इसका वर्णन है। (ड) गुप्तगोदावरी-चौवेपुर से दो मील है। चित्रकूट स्टेशन से दस मील । गुप्तगोदावरी एक नदी है। पता नही कहाँ से पहाडो के भीतर-भीतर बहती हुई वह यहां आकर दर्शन देती है। प्रवेश करने को गुफा में जाना पडता है। और भी गुफाएं है। (च) रामसैय्या-भगवान राम सीता की शैल-सैय्या है। (छ) भरतकूप-भरतकूप स्टेशन से निकट है। भरत जी ने अत्रि ऋषि की आज्ञानुसार सब स्थानो का जल यहां डाला था। २ बालाजी-दतिया व झॉसी के पास दतिया राज्य के अतर्गत उन्नाव तहसील में पहूज नदी के किनारे है। यहाँ सूर्य देवता के मन्त्र की पूजा होती है। हजारो नर-नारी पूजा करते है । चर्मरोग पीडित हिन्दू और अहिन्दू यहाँ पाकर निरोग होने की भिक्षा मांगते है । दतिया मे यात्रा से लौटती हुई रमणियो को गाते सुना है बालाजी बिरोबर देव नैय्या, देवता नयाँ। बालाजी
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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