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नल- दवदन्ती - चरित्र
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एकमना थई भवीय लोक विगतs निसणेह निषेध नगर छह निषधराय सुर सुदरि राणी, शीयल सोभागइ प्रागली ए नलराय वषाणी, नल- कुवर वे छह पुत्र, गुणवन्त भणीजइ, नल- कुवरना रूप वन्न कुण ऊपम दीजइ, कुडिनपुरि छइ भीमराय, भुज प्राणइ भीम, को सीमाडउ तेह तणी नवि चापइ सीम, प्रति प्रीतइ गहगहीय गेलि राणी पुष्पदती, माय ताय मन मोहती ए बेटी दवदती, सोभागइ सोहामणी ए सवि विद्या जाणइ, सहस जीभ हुइ मुखहमाहि तउ रूप वखाणइ, प्रतिमा शाति जिणेस तणी सिद्धायक श्रापीय, दवदतीना मनमाहि जिणधम्मं स थापीय, भीमरायु वर कारणिइ ए सयवर मडावइ, हसद्द तेडिउ नलहराय परणेवा श्रावइ, लाख अग्यारह राय माहि रूपइ मन मोहइ, गहगण तारा माहि जेम पूनमि ससि सोहइ; पच रूप करी देवराय वरमडपि श्रावइ, दवदतीना मनह माहि एकइ नवि भावइ, दववतीना मनह माहि निरमल मति सूधी, वरमाला वेगिह करो ए नलकठ जि दीघी, नल परणीनइ चितवह ए दवदती राणी, 'सवि बहिनर तुझें साभलु, ए सवि सहीय समाणी, गय भवि भगति प्रति सभागि भइ मुनि वहिराव्या, साहमीय वच्छल सघ सहित मइ गुरु पहिराव्या; aaण बांध्या जीवडा ए कइ मइ म्हेलाव्या, बालक मायनइ मेलव्याए, कय दव उल्हवीचा, कइ जिण पूजिया त्रिणि काल दिनप्रति मह भगति, वारे व्रत किs नियमसहित मद्द पालिया शक्ति; कइ गुरु देव ज द्रव्य भइ ए रूडइ प्रतिपालउ, सवि अभक्ष मद्द परिहरिया ए समकित अजुझालिउ, भूषिया तरस्या सार करो, कइ मह तप कीघउ, ' नल परणीनइ चितवइ ए, 'माण सफल लीघउ ' ; हरषित भीम नरेसु राय जोसी डावर, मडपि माहि सोनातणी ए चउरी बधावद; सासू पूषद माहरइ ए वर श्राविड जाम, रगिइ जोसी समइ समइ वरतावह ताम,
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