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प्रेमी-अभिनंदन-प्रथ
की है। कारण, यह प्राचीन संस्कृत और आजकल की हिन्दी, मराठी, बगला-गुजराती आदि प्रान्तीय भाषायो के बीच एक कडी-मी है। इनकी भाषा मे सस्कृत के शब्दो के वे स्वस्प है, जिनके माध्यम से आजकल की उत्तर भारत की प्रान्तीय भापात्रो के मूल शब्द को हम ढूढ निकालते है। इन लेखो में से एक लेख से हमें पता चलता है कि मथुरा में ईमवी पहली शताब्दी में नाचने और नाटक खेलने वालो के कुछ घर थे, जो इन कामो को पेशे के तौर पर करते थे। भगत, नाच, राम आदि प्राचीन परपरा से मथुरा में चले आ रहे है और इन पर अनुसधान करने वालो के लिए यह लेस अवश्य ही वडे महत्त्व का है। लखनऊ ]