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वीस ]
(३) मानव जगत् ही नहीं, पशु-पक्षी, वन-वृक्ष, नदी-सरोवर, गरज़ यह कि चारो गोर की प्रकृति को ग्रन्थ में स्थान मिले। अभिप्राय यह है कि प्रत्येक अभिनन्दन ग्रन्थ को हम बिजली के सजीव तार की तरह स्पन्दनशील और जाग्रत बनाने के पक्ष में है। उदाहरण के लिए हम एक लेख सागर की दो देन-प्रेमी' जी और जामनेर (नदी)इस अन्य के लिए लिखना चाहते थे। जामनेर नदी का उद्गम सागर जिले मे ही है और उसके दोसुन्दर दृश्य इस ग्रन्थ में दिये भी गये हैं। पुरुष तथा प्रकृति का यह मिलन ही हमे आनन्द-प्रद तथा जन-कल्याणकारी प्रतीत होता है। हमें अपने विस्तृत देश का पुनर्निर्माण करना है और यह तभी सम्भव है जब हम छोटे-छोटे जनपदो का साहित्यिक तथा सास्कृतिक पुननिर्माण प्रारम्भ कर दें। जो महत्त्व आज इने-गिने गहरी व्यक्तियो को प्राप्त है वही हमें जानपद जनो को देना है और प्रेमी जी निस्सन्देह एक जानपद जन है-ठेठ ग्रामीण व्यक्ति । साधारण जन-समाज से उठकर उन्होने असाधारण कार्य कर दिखाया है। उनका अभिनन्दन करते हुए हम सामान्य जन (Common
man) का सम्मान कर रहे हैं। उन जैसे सैकडो-सहस्रो व्यक्ति प्रत्येक जनपद के भिन्न-भिन्न क्षेत्रो में उत्पन्न हो, अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वे अपना सर्वोत्तम मातृभूमि के चरणो मे अर्पित करे और इस प्रकार विश्व-कल्याण के बहुमुखीन कार्यक्रम में सहायक हो, यही हमारी हार्दिक अभिलापा है।
आम्रनिकुज । कुण्डेश्वर ।
बगनारकोमा नाच