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[ सत्रह इस जनपद की प्रकृति के भी हम ऋणी है, जिसके निकट साहचर्य में हमे इस अनुष्ठान के करने की स्फूर्ति और प्रेरणा मिली।
अत में हम भगवान से प्रार्थना करते है कि प्रेमी जी दीर्घायु हो और साधना-पथ पर उत्तरोत्तर अग्रसर होते रहने की शक्ति उन्हे प्राप्त होती रहे।
पचवटी कुण्डेश्वर
-~-यशपालन
मत्री
आभार
हम निम्नलिखित महानुभावो के आभारी है, जिनकी उदार सहायता से इस ग्रथ का कार्य सम्पन्न हुआ है १ साह शातिप्रसाद जी जैन
(डालमिया नगर) १००१) २. स० सिं० धन्यकुमार जैन
(कटनी)
१००१) ३ रा०प० लालचद जी सेठी
(उज्जैन)
१०००) ४ रा०व० हीरालाल जी काशलीवाल
(इदौर)
१०००) ५ सेठ लक्ष्मीचन्द्र जी
(भेलसा)
१०००) ६ साहु श्रेयांसप्रसाद जी
(ववई)
५००) ७ श्री छोटेलाल जी जैन
(कलकत्ता)
३००) ८ स्व० विश्वम्भरदास जी गार्गीय
(झांसी)
१०१ ९ श्री बालचन्द्र जी मलैया
(सागर)
१०१) १० वैद्य कन्हैयालाल जी
(कानपुर)
१०१) ११ श्री विजयसिंह नाहर
(कलकत्ता)
२५)
-मत्री