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अश्वों के कुछ विशिष्ट ( ई० पूर्व के १००० से १२०० तक)
श्री पी० के० गोडे एम० ए० हेमचन्द्र (१०८८ से ११७२) ने अपने अभिधानचिन्तामणि शब्द-कोश में वर्णानुसार अश्वो के निम्नलिखित नामो का उल्लेख किया हैक्रम नाम
वर्ण
हेमचन्द्र की व्याख्या १ कर्क
करोति प्रमोद कर्क "कृगो वा" (उणा-२३) इति क (अमरकोष में 'कर्क' का उल्लेख श्वेत अश्व के लिए आया
है-"सित कर्क") कोकाह
कोकवत् पाहन्ति भुव कोकाह (ज'-१) खोङ्गाह
श्वेतपिङ्गल खमुद्गाहते खोङ्गाह , पृपोदरादित्वात्, श्वेतश्चासौ पिङ्ग(ज-२)
लश्च श्वेतपिङ्गल सेराह पीयूषवर्ण पीयूष अमृत दुग्ध वा तद्वद्वर्णोऽस्य पीयूपवर्ण तत्र सीरव
दाहन्ति भुव सेराह
मित
.
.
पीत
हरिं वर्ण याति हरियः
हरिया (ज-३) खुङ्गाह
कृष्णवर्ण
खुराहते खुङ्गाह.
क्रियाह
लोहित नीलक
क्रिया न जहाति नील एव नीलक
पानील (ज-८) (स-७) त्रियूह
कपिल
त्रीन् यूथानि त्रियूह
अय त्रियूह. एव व्योम्नि उल्लघते वोल्लाह
वोल्लाह (ज-२१) उराह (ज-१४) (स-१३)
कपिल और पाण्डु केशर वालधि मनाक पाण्डु
और कृष्णजघ
उरसा आहन्ति उराह
स-सोमेश्वर ।
'ज--जयदत्त।
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