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ज्ञानानन्द
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राग आशावरी-तीन ताल
· योगी तेरा सूना मंदिर क्युं । योगी० ॥ टेक ॥
बहु महनत कर मंदिर चुनियो, अब नहीं बसता क्यु ॥ यो०१॥
तीरथ जल कर एहने धोया, भोग सुरभि दरव क्युं । योगी० । भसम भूत ए मंदिर उपर, घास लगाया क्युं ॥ योगी० २ ॥
राम नाम एक ध्यान में योगी, धूनी ज्यु की त्युं । योगी० । एह विचार करी भाइ साधो, नवनिधि चारित ल्युं योगी० ॥ ३ ॥