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पडशे ।
(२०५]
करिहिसि सं० करिष्यसि-प्रा० । करेहिसि । करेश ।
करेइसि । करीश ।
करेसि । २१६. पडशे (गुज०)। ___ पतिष्यति-प्रा० पडिस्सइ । पडशे ।
पडेस्सइ)
भजन ८५ वां २१७. आंगमे-आक्रमण करे ।
सं० आक्रामति प्रा०-अकमइ-आकमइ-आंकने-आंगने (१) अथवा सं०-आगमयते-प्रा० आगमए-आंगमे । आगमयतेप्रतीक्षा करना।
२१८. दुग्धा-आपत्ति-कष्ट ।
संभव है कि सं० 'दुःखाधि' शब्द से यह शब्द निकला हो ? अथवा 'दग्ध' (जलन) से 'दुग्धा' बन गया हा! अथवा 'दुःखदाह' शब्द से 'दुक्खडाह' होकर उस परसे 'दुधा' हो गया हो ?
२१९. सांपडवी-प्राप्त करनी ।
सं० संपादयितव्य-प्रा० संशडिअम । 'सांपडली' का मूल 'संपाडिअच' में है।