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नीके
सं० शुक- प्रा० सुग, सुअ
१८६. नीके-नीला ।
सं० नीलक-नीक । जिस प्रकार 'मलिन' शब्द से 'महल' होता है इसी प्रकार 'नीलक' से 'नीक' की उत्पत्ति शक्य है ऐसी कल्पना है । और उसी प्रकार 'नील' से 'लीला' ( गुज०) शब्द भी आया है ।
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स्वार्थिक 'ड' आने से सुअड
सूडा | गुजराती में सूडो ।
भजन ६७ वां
१८७. आश्रव - पाप और पुण्य आने का मार्ग |
( जैन परिभाषिक) बौद्ध पिटको में भी ऐसा शब्द इसी
अर्थ में आता है ।
भजन ६८ वां
१८८. विलई - विलय होना - नाश होना
सं०- 'विलीयते ' प्रा० - 'विलीयए' । 'विल्ई' की प्रकृति
'विलीयए' है ।
१८९. ऊधर्यु–उद्धार करना - चहार नीकालना
उद्धरि-ऊपर्यु |
सं० उद्धृतम् - प्रा०
उमरियं ।