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भजनकार कवि परिचय प्रस्तुत संग्रह में जैन कवि और सनातनी कवि - दोनों के भजन लिए गये हैं । प्रस्तुत पुस्तक का मुख्य उद्देश इतिहास 'नहीं है तो भी संतसमागम की अपेक्षा से उक्त दोनों प्रकार के भजनकारों का संक्षिप्त परिचय क्रमशः दिया जाता है : जैन कविज्ञानानंद - भजनकार ज्ञानानंद का समय प्रायः सत्तरहवीं
शताब्दी है । उनके भजनों में उनका नाम तो आता है साथ में निधिचारित शब्द भी वारंवार आता है । इससे ऐसी कल्पना होती है कि निधिचारित नाम उनके गुरु का हो । भजनकार की दृष्टि अन्तर्मुख है । दूसरा भजन बनाया है तो ज्ञानानन्द ने परन्तु “ मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई " भजन का उक्त भजन में पूर्ण प्रतिबिंब है
और “ मेरे तो गिरधर " भजन श्री मीरांबाई का है। ज्ञानानंद के विषय में दूसरी कोई हकीकत उपलब्ध नहीं जान पड़ती । संभव है कि कवि गुजरात के वा मारवाड़ के हों ।