________________
जगपरिमित
[१५७] ५६. जगपरिमित-जगत के समान परिमाणवाला-जगत जैसा बडा ।
सं० जगत्परिमित-प्रा० जगपरिमित । ५७. माने-जाने-समजे । सं० मन्यते प्रा० मन्नइ-मानइ-माने ।
"मनिंच ज्ञाने"-(धातु पारायण चौथा गण अंक १२०) प्रसिद्ध 'मन्' धातु, संस्कृत धातु कोशो में 'ज्ञान' अर्थवाला बताया है।
भजन ११ वाँ ५८. मीता-मित्र । सं० मित्र-प्रा० मित्त । 'मित्त' पर से मीता । ५९. पायो-प्राप्त किया।
सं० प्राप्त-प्रा० पापित-पाविअ-पाइअ-पाय-पायो । प्रा०-पापित-पाविअ-पामिअ-पाम्यो । 'पाम्यो' शब्द गूजराती
• ६०. परतीता-प्रतीति होनी-विश्वास होना ।
सं० 'प्रतीत' से सीधा 'परतीता' पद आया है। 'प्र' में 'अ' कार का प्रक्षेप करने से उसकी निप्पत्ति होती है ।
६१. पख-स्वपक्ष-स्वमत का आग्रह । सं पक्ष-प्रा० पक्ख । 'पक्ख' से पख ।