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फिलावो
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और 'वार' का भूतकृदंत 'वधारिय' । 'वधारिय' के प्रथमा का बहुवचन ' वधारिया' । ' वधारिया' का त्वरित उच्चारण 'वधार्या' | अथवा अन्य क्रमः-‘वृद्धिकार' - बुद्धिआर - वद्धिआर - वचार - बधार । प्रस्तुत 'वार' का भूतकृदंत 'वधारिअ' से उक्त रीति से 'वधार्या' । २४. फिलाबो- प्रसार करो ।
मूल धातु प्रा० 'पयल' का प्रेरकरूप 'पयल्लावेउ' । 'पयल्लावेउ' से 'फिलावो' वा 'फेलावो' क्रियापद आता है । इस सम्बन्ध में अधिक विवेचन 'फैल' को टि०१८ में किया गया
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२५. गहो - ग्रहण करो ।
सं० ग्रह प्रा० गह गहउ - गहो ।
२६. रमावो -- रमण करो - रमो ।
मूल धातु 'रम्' से प्राकृत प्रेरक 'रमाउ' | 'रमा' से प्रस्तुत रमावो ।
प्राकृत में प्रेरणादर्शक 'अ' 'ए' 'आव' और 'आवे' प्रत्यय का उपयोग है । इसके लिए हेमचन्द्र के प्राकृत व्याकरण का अध्याय अष्टम, तृतीयपाद सूत्र १५० - १५१ - १५३ को देखना चाहिए ।
भजन ४ था
२७. तसकर-चोर डाकु - लुंट करनेवाले ।
सं० ' तस्कर' के संयुक्त 'क' में 'भ' को अंतःस्वरवृद्धि