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धर्मामृत
प+यल-प+यल्ल-पयल्ल । प्रस्तुत 'पयल्ल' से 'फैलना' और गु० 'फेलबुं' क्रियापद आया है:-पयल्ल-पइल्ल-पेल्ल-फेल'फैलना' या 'फेलq। घाति करम
आत्मा के मूल शुद्धतम स्वभाव को नाश करनेवाले संस्कार का काम क्रोध लोभ मद मोह माया मत्सर को बढाने वाले संस्कार का-जैन पारिभाषिक नाम 'घाति कम है। कर्म से करम । अन्तःस्वरवृद्धि । देखो 'काज' को टिप्पणी १२। खायक
जिन जिन सदत्तियों द्वारा क्रोध मान माया और लोभ वगेरे दुष्ट वृत्तिर्या सर्वथा क्षीण हो जाय वा क्रोधादिक दुर्वृत्तियां मन्द मन्दतर मन्दतम हो जाय वे सब सदवृत्तियों का जैन पारिभाषिक नाम क्षायक-खायक-भाव है। क्षायक-दुष्ट वृत्तियों का क्षय करनेवाला।
भजन ३ सरा १९. पूंजी-धनमाल घर वाडी खेत बगैरे।
संस्कृत का 'पुञ्ज' शब्द 'समूह' अर्थ का घोतक है। अमरकोशकार कहता है कि “स्याद् निकायः पुञ्ज-राशी"(सिंहादिवर्ग द्वितीयकांड श्लो० ४२) हेमचंद्राचार्य भी कहते हैं कि "पुज-उस्करी संहतिः'- अभिधानचिंतामणि कट्टा