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पृ०
अशुद्धि
"११७
११८
११९
संपादक प्रयुक्त-हिंदी भाषा की अशुद्धियों का शोधन
शुद्धि **समजने
समझने रात्री
रात्रि लोक
लोग 'प्रहर' की
'प्रहर' के के उपर से xनहि
नहीं है नहि
है; यह नहीं अब तो यह निश्चित हुआ कि 'कुक्कुर' 'कुक्कुर' जो जो . जिन जिन - णम जा
-शत हो जा
१२३
१२४
१२४ १२५
* 'समज' धातु के स्थान में सव जगह 'समझ' धातु
जानना ।
x 'नहि' के स्थान में सर्वत्र 'नहीं' समझना ।