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भानन्दघन
(६३)
राग केदार-तीन ताल
राम कहो रहमान कहो कोउ, कान कहो महादेव री पारसनाथ कहो कोउ ब्रह्मा, सकल ब्रह्म स्वयमेव री
॥ राम० ॥ १ ॥
भाजनभेद कहावत नाना, एक मृत्तिका रूप री तैसे खंड कल्पनारोपित, आप अखंड सरूप री
[७१]
॥ राम० ॥ २ ॥
निजपद रमे राम सो कहिये, रहिम करे रहिमान री कर्षे करम कान सो कहिये, महादेव निर्वाण री
॥ राम० ॥ ३ ॥
परसे रूप पारस सो कहिये, ब्रह्म चिन्हे सो ब्रह्म री इह विधि साधा आप आनन्दघन, चेतनमय निकर्म री ॥ राम० ॥
४ ॥