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क्रान्तिको चिनगारिया
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बदल डाला। धार्मिकोके आडम्बर, कलह, शोषण, स्वार्थपरता, संकीर्णता, जाति-अभिमान आदिके बारेमे जब मैं सोचता हू, तब हृदय गद्गद् हो जाता है।"
"मैं ऐसे धर्मकी साधनाके लिए जनताको प्रेरित नहीं करता। ___ मैं आप लोगोंसे वैसे धर्मको जीवनमे उतारनेका अनुरोध करूंगा,
जो इन झंझटोंसे परे हो, विश्वबन्धुत्वका प्रतीक हो।” ___ आपकी धारणामे धर्मके सच्चे अधिकारी वे हैं, जो त्यागी
और संयमी है। आज बहुलाशमे धमकी बागडोर पूंजीपतियो के हाथमे है इसलिए उसपरसे जन-साधारणका विश्वास उठ गया है। धर्मके लिए पूंजीका कोई उपयोग नहीं है।
आपने गत कई वर्षांसे पिछड़ी जातियोंकी आचार-शुद्धिपर विशेष ध्यान दिया। भंगी-बस्तियोंमे साधुओको भेज कर व्याख्यान करवाये। अनेकों बार आपने स्वयं उनके बीच व्याख्यान किये। उनमे बडी श्रद्धा जाग उठी। आपने उनसे कहा :___ "आपमे जो स्वयंको हीन समझनेकी भावना घर कर गई, यही आपके लिए अभिशाप है। एक मनुष्य दूसरे मनुष्यके लिए अस्पृश्य या घृणाका पात्र माना जाये, वहाँ मानवताका नाश है। आप अपनी आदतोंको बदलें। मद्य, मास आदि बुरी वृत्तियों को छोड़ दें। जीवनमे सात्त्विकता लायें। फिर आपको पावन वृत्तियोको कोई भी पतित या दलित कहनेका दुस्साहस नहीं करेगा।"