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तो ज्ञाननी कहनीक मुल्यना जणाय ने लिव-पसन नय सम्मन मान एक दिसा ने थापान ने एक दियायें क्रिया बापी जोहये, नइये ज्ञान आगळ क्रिया कत्रीक जणाय । नान ग़ना प्रायः दीम ने किया दानी बांदी प्राय निजर आ । यथा इंद्रा; मद्रोक्तिः
पूर्व कांड दयानता, किया कठिन जिन कान ।
कुट्ट अकुरडू नरकगति अशुद्ध मात्र ते लीन ज्ञान सूर्य प्राय, क्रिया बजुआ प्राय । इनि सरक। एहवी। क्रिया नै ऋग्नु नाम करें आदरे परं म्यै कारण क्रिया नै आदर ने लिव-बग्न है ममना नाम मा नै धारयां तां ने ममता सौ ! मुझ में लॉक क्रियावान देखी नै पडवू मन में बाणस्य । जे शात्रामा पिण पहज छिन्त्र है। यथा "यः क्रियावान मः पण्डिन," ए नमना आम्या । बाप मनमें महा क्रियावान एओ छ । वा एयो बणा प्राणी मुझ नै जम्य वा मान मन नै यगा आनन्य ने आहार वा पाणी, लमाछ, पाठा, चादर प्रमुन्न थी मजिवान श्राम्य । पइना ही क्रिया नौ प्रजनन देने तन्त्रवृद्रिय विचारी ने जाईये नौ गले में नाम अन्म वन्य नस पामवानां गछौ में शुद्ध श्रद्वान ने गाने झांमी तुन्य है। निम कोई प्राणी गळे कमी लागां काम नन मण पाम दिम आमन्वन्प प पुरुष नौ गली शुद्र प्रधान नेनो श्वास शुदयद्राननी प्रवर्तन देने नवे नान बंत्र हा वर्ग आमस्वरूप रूप पुरस नो नाम यह नाय । दिन न आनंदयन नुनि कहे:
जन ग आवे नहीं मन टाम ।
तब लग कष्ट क्रिया सब निष्फल, ज्यों गगन चित्राम || " पुनः एवंनी ज उतिः"बाज ऋष्ट श्री ऊचूं चबू, नौ बड़ नी भाव" इति सर्दक
क्रिया विना झान नदि कबह, क्रिया झान बिन नाही। क्रिया दान दाज मिलन रहिन, ज्यू जल उस जल माही ॥ ५०190 ICIl
एनो क्रिया नो यन ऋयों में सर्व यंत्रक क्रिया नो यन ऋयो । बाहू परमेश्वर माणित आगनानुबाई नौ वचन है-"ज्ञान क्रियान्यां मोड:" ना इला जानथी, इंकली क्रिया थी पिण मांच न ऋयु । ऋथं नाम किम निहां निन, पहळू पांथा ऋद बचन है-"एगंत होई मिच्छन। पुनः गाया,___" नाप लापप, मात्र, देखणेण च सह
चारिण मणुन्नाई, नवेण परिसिन्ह"
इयं नाणं क्रिया होणं, हृया अन्नामिणां क्रिया। . पासंतो पंगुली दड्डो, घात्रमागाय चंचली Mn