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________________ अनेक गच्छो, संप्रदायो भने मतभेदोना मोजाओथी घूपवता जैनशासनसागरमा तोफाने चढेली धर्मनौकाना ए साचा मुकानी हता. उपाध्यायजी महाराजे पोताना जीवननां धांय वपों, जीवनk सपनं मुख, जीवननी तमाम कमाई जैनशासनने अर्पण करी दीधा हता. जीवनना अन्तिम वर्ष मुधी साहित्यसर्जन, शासनसंवा अने धर्मरक्षाना श्वास लेनार ए वीर पुरुष आपणी समक्ष सेवा, स्यार्पण भने पुरुषार्थनो आदर्श नमूनो मूकता गया छे. शासनमा बुद्धिमानो घणा पाके छे, परंतु फर्त्तन्यपरायणो अने नव्य सजको गण्यागांठ्या ज पाके छे. उपाध्यायजी एक सर्जक अने क्रान्तिकारी पुरुष हता, तेथी तोश्रीए मारे बलिदानो-आमभोग अने मुस्केलीथी मेळवेल सिद्धिओने टकावी राखवा अपूर्व साहित्य सर्जन कर्य प. साहित्यनु अध्ययनअध्यापन ने प्रचार थाय ए माटे श्रीसंघ यशोविद्यापीठ ' जेयी एकाद संस्था उभी करवी जोईग. आजे गौतिक विज्ञान अने राजकारण एज जाणे जीवननं पूर्णविगम होय, एवी भावना भने मान्यता विश्वमा मनवून थई बैठी छे. वळी, प्रजार्नु मानस अनामवादी भने यिनारोथी सतत घेगतुं जाय छे. चीजी बाजु प्रजाना नेताओं अने प्रचारक साधनो तरफथी मात्र भौतिक साधनोना सर्जन, संवर्धन के विवर्धनमा ज प्रजानी मुख-शांति अने आयादीनी सिदिओ समारोली -आवी जोरशोरथी थई रहेली व्यापक उद्घोषणाओ द्वारा प्रजाना हदय भने गगजमां सतत भयंकर विपणात थई यो छ. प्रजा बामवाद के अध्यात्मवादना कल्याण मार्गधी दूर मुदर हडपलाती नाय छ आ गते ज्यार गारतीय संस्कृतिनो भव्य प्रकाश अबराई गाई, न्यारे खोला, आया महागभीनी म. वाणीज प्रजाने उगारी शकशे. कारण के उपाध्यायजी भगवाननी वाणी मानवजानना साना कर्तव्यने चौध छ, गानवनी मानवताने समजावं में, विश्वने प्रेरक पयगाम आप, मंगल अने कल्याणना पवित्र राजमार्गनुं दर्शन करावे छ. माटे अमनी वाणीनों खूब सूय प्रनार थयो जोईए. आजीवन सांगोपकारी पृश्यपाद गुरुदेयोनुं संस्मरण अने या कार्यमा सहायक मनार शतावधानी न्याय-व्याकरण साहित्यतीर्थ जयानन्दविजयजी तथा मुनिश्री वानस्पतिविजयाना गाद शे भुलाया अन्तमां सरस्वतीना पापाय, गुरुचरणकमलना अमंद उपासक, सम्यगदर्शन-मन-नाविना अनुपम भाराधक, महान चिनारक, महानत तानितक, यागफयर महरायाय ग्याविनाद न्यापानार्यन भने तेमनी स्वपर कल्याणकारक प्रसाने भगणित दंदन! सनपंनी २०१३, समदाबाद -यशोविनय
SR No.010845
Book TitleYashovijay Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year1957
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size25 MB
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