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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धारः प्रवहणप्रधानधर्म्मप्रवहणप्रवर्त्तनकर्णधारैर्भगवतीर्थकरप्रवचनावितथतत्त्वप्रबोधप्रसूतप्रवरप्रज्ञाप्रकाशतिरस्कृतस ३५ मस्ततीर्थिकचक्रप्रवादप्रचारैः प्रस्तुतनिरतिशयस्याद्वादविचारैः श्रीहरिन्द्रसूरिभिः ॥ ॥ पाठां श्रीश्रनयदेवसूरी श्रीजिनेश्वरसूरी प्रमुख याचार्योंए, नगवान् हरिभद्रसूरीने पूर्वगतग्रंथांना जाण कह्या. तेथी पूर्वधरवत् एनां वचन पण पूर्वगीतार्थ जेम प्रमाण करता याव्या, तेम प्रमोषण प्रमाण करीए बीए. तेमज मूलपंचांगीकारना वचनने अनुसारे वर्तमानपंचांगीकारनां करेलां प्रकरण ग्रंथादिक तथा य न्यखाचार्यांना करेला प्रकरणादिक पण सिद्धांतपंचांगीने अनुसारे सर्व प्रमाण करीए बीए. इहां कोइ कहेश्ये के पंचांगीने अनुसारे प्रकरणादिक मानवां किहाँ कह्यांबे ॥ उत्तरः- श्रीयशोविजयनपाध्यायजीकृत श्रीसीमंधरस्वामीनी विनति रूप साढात्रण सोगाथाना स्तवननी नवमीढालनी पांचमीगाथामां. यादिशब्दथी अर्थकारे पंचांगानुसारे प्रकरणचरित्रादिक मानवां कह्यांडे ॥ ॥ तेपाठः ॥ वृत्त्यादिका एणमानता सूत्रविराधेदीन जि० सूत्ररथतदुनयथकी प्रत्यनीककह्या तीन जि० तुज ०।५। अर्थः- वलीवृत्त्यादिकके० वृत्तिचूर्णीनापने श्र
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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