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________________ परिच्छेदः १ ॥ इतिप्रश्नोत्तरबागमोक्ताचरणानिगमनम् ॥ ॥ इति चतुर्थस्तुतिनिर्णये शंकोद्धारे अपरनानि चतुर्थस्तुतिकुयुक्तिनिर्णयच्छेदनकुठारे प्रश्नोत्तरआगमोक्ताचरणानिदर्शनो नाम प्रथमः परिच्छेदः ॥१॥ ॥जिज्ञासुप्रश्न॥तुमो व्यवहार कल्प आचरणा जीत, एकार्थआश्री आगमोक्तयाचारमा वर्तवू तेने आगमाचरणा कहोबो पण श्रीजगवतीजीमां पांचव्यवहारकह्याले. तेमांधी हमणां एक जीतव्यवहारज वर्तेले. केमके, श्रीमद्यशोविजयनपाध्यायजीए श्रीसीमधरस्वामिनी विनतिरूपस्तवननी चनदमीढालनी ७ मी गाथाए कयुंजेके, व्यवहारपांचेनाषीया अनुक्रमेजेहप्रधान आजतोतेमांजीत तेतजीएहोकेमविगरनिदानासा०७॥ एगाथाना अनिप्रायथी तो आजकालें पांचमो जीतव्यवहारज वर्तेडे तो आगम श्रुतश् आझा३ धारपाच एच्यारव्यवहार किहांथी होय !! तो तमो, बीजा व्यवहार आजना कालमां श्या आधारथी मानोडो? तथापंचांगीप्रमाणकरोडो तेम पंचांगीकारना करेला ग्रंथ प्रकरण प्रमाणकरोडो के नथी करता? उत्तर-हेजिज्ञासो तमारांकरेला बे प्रश्ननो उत्तर
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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