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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धारः १७ सूत्र, सिद्धांत कहीएं. एवंने निश्वयसम्यग्दृष्टिपणे करीने यथार्थवक्तापणाथी तेने अनुयायी अर्थात् गणधरादि संपूर्णदशपूर्वधरनां रचेलां सिद्धांतोने मुसारे बीजाघोनां गुंथेलां अर्थात् रचेलां पण प्रमाणज होय न पूनः शेषं एटले ते पूर्वोक्त पूर्वधरोने अनुयायी ग्रंथरचना न होय तो प्रमाण न थाय इतितत्त्वम् ॥ उपरनख्यानुं तात्पर्य एबे के गणधरकृत द्वादशांगीने अनुसारे श्रुतस्थिवर चौदपूर्वधर रचे. चौदपूर्वधरने - नुसारे दशपूर्वघर रचे. दशपूर्वधरने अनुयायि यावत् एक पूर्वधर, सूत्र अर्थ पंचांगी रचे. ते पूर्वधरोने अनुसारे, बहुश्रुत सर्व गीतार्थोनां रचेलां वृत्त्यादिव्याख्यान पण सम्यक् श्रुतपणे सम्यग्दृष्टियोने अंगीकारकरवा जोग्य डे. तथा वर्तमानकालमां जे सूत्रोनी पंचांगीडे ते पूर्व पंचांगीने अनुसारे वर्त्ते. कारण के ठामश्वर्त्तमानवृत्त्यादिकमां लखेडे के, पूर्ववृत्त्यादिकअनुसारे हुं वृत्ति करु. अथवा श्रावश्यकवृत्त्यादिक में श्रीहरिनद्राचार्यप्रमुख लखेडे के, एषावि हि मूलटीकाकारेण नलिया । इत्यादिकवचनोथी पूर्वपंचांगीने अनुयायि वर्त्तमानसूत्रोनी पंचांगीठे तेने पूर्वपंचांगीतुल्य सर्वगीतार्थ प्रमाण करता श्राव्या. तथाहि तेमज अतीत वर्त्तमानकालनिकटवर्त्ति
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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