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________________ परिच्छेदः १ नमा तथा सूयगमांगना नरकविनत्तिअध्ययनमा ते परमार्थे मांसादिक नथी पण जयसूत्र यतः नरएसुमं. सरुहिराइ वजंपसिद्धिमित्तेणं जयहेनइहरतेसेिं विनव्वियपावोनतेयं ॥ इत्यादिक जयसूत्र तथा नववाइ ज्ञाताधर्मकथा प्रमुखने विषे ऋधित्थमियसमिद्धा इत्यादिक प्राये सूत्र ते वर्णक सूत्र वली श्रीयाचारांगादिकसूत्रने विषे इच्चेसिंबन्हजीवनिकायाणंनेवसयंदमसमारंनेजा इत्यादिक तत्सर्गसूत्र जाणवां तथा बेदग्रंथ प्राये अपवादसूत्रने अथवा नयालनिझानिनणंसहायं गुणाहियंवागुणोसमंवा । इकोविपावाइविवजयंते विहरिजकम्मेसुसंजमाणो॥ इत्यादिक अपवादसूत्र जाणवां तथा जेमा उत्सर्गने अपवादसाथे कहेवाय ते तदुनयसूत्र कहींएं ॥ इत्यादिएसातप्रकारनां सूत्र पण सूत्रागम कहीएं पूर्वोक्त सर्वप्रकारना सूत्रमाथी कोइसूत्र न माने तेने सूत्रप्रत्यनीक कहीएं ॥ हवे अर्थागमनु स्वरूप लिखीएडीए अर्थते सूत्रनु व्याख्यान नियुक्त्यादिक एटले श्रीअनुयोगद्दारसूत्रमा च्यारअनुयोगद्वार कह्यांडे उपक्रम १ निदेोप २ अनुगम ३ अने नय ४ तेमां त्रीजुं अनुगमनामा अनुयोगद्वार तेहमां सूत्रानुगम तथा नियुक्तिअनुगम ए बे प्रकारनो अनुगम कह्यो तथाच तत्सूत्रं ॥
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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