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६५४ परिच्छेदः १५ बामि पडि पनी पडिक्कमण सूत्र अस्खलित कहे, पनी बारसावत्त वांदणा दे अग्नि खमावीने वली वांदणा दे पठी सामायिक स्वामिठामि यन्न चारित्र अतिचार शोधवा पच्चास श्वासोश्वास काठस्सग्ग पारी लोगस्स सबलोए पञ्चीस श्वासोश्वास कानस्सग्ग पारी पुकरवरदी वंदण अनव पच्चीस श्वासोश्वास कानस्सग्ग पारी सिझा बुझाणं कही मुहपत्ति प. डिलेही वांदणा दे श्वामी अणुसठिं कही नूमी उपर गोडा थापी नमोस्तु वईमानाय ए वईमान त्रण थुइ कहे, त्यारे पडिक्कमएं समाप्त थाय ॥ए पडिक्कमणानी विधिमां श्रुत देव देवीनी थुइ कानस्सग्ग नथी. तेथी एम जाणिये बीए, एसचरित्त० ए गाथा नियुक्तिमा संवत् १२ बार पहेली तथा पली संप्रदाय नेदथी ममतनावे कोइए प्रदेप करी हशे तेथी पूर्वाचार्योना ग्रंथोमां देवसीनी विधिमां श्रुत देवदेवीनो कानस्सग्ग प्रतिपादन करयो नथी, ए अनिप्राय जणाववा दीपिका कारे पण उर्घट कही पण परकी चोमासी संवबरी ए थाचरणाए साधुने क्षेत्र देवीनो कामस्सग्ग माझाने अर्थे करवो संनवे बे; पण स्तुति कहेवी न संनवे, केमके पर्वाचार्योना ग्रंथोमा आचरणाए देवदेवी प्रमुखनो कायात्सर्ग प्रतिपादन बे, पण स्तुतिनो प्रतिपादन नयी,