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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोक्षारः . पण एवं उपाध्यायजीनुं कथन नथी; केमके उपाध्यायजीनो शोधेलो श्री धर्मसंग्रह तेनो पाठ पूर्व लखि याव्या लिए तेमां सांऊना सूर्यममलनो अई नाग दीगं पेहेला श्रावक जिनपूजाने अनंतर प्रतिक्रमण करे एम कडं बे, तेमज नपाध्यायजी पोते पण गर्नहेतुस्वाध्यायमां ॥ अ रधनिबुम्मरविगुरु सूत्रकहेकालपूरोरे दिवसनोरातिनोजांपीए दसपडिलेहणथीसूरोरे ॥६ श्रु०॥ ए गाथामां सूर्य मंझलनो अईनाग देखातां प्रतिक्रमण सूत्र कहे ते देव. सि प्रतिक्रमणनो काल बताव्यो, ने दश पडिलेहण करतां सूर्य नगे ते रात्रि प्रतिक्रमणनो काल कह्यो, तेथी प्रतिक्रमणना आद्यंतमा सामान्य विधिएज देववंदन करवा संनवे, पण विशेष विधिए देववंदन करवा न संनवे. वली श्री वृहत्खरतरगच समाचारीमा तेमज का. ॥ते पातः ननयोरप्यावश्यकयोराद्यतेषु मंगलार्थ य दाहमखे प्रदोषे च विस्तरतो देववंदनं तद्विशेषमंगलार्थ कालवेला प्रतिबश्वेन न संभाव्यते अन्यथा वा कारण यथागमं ज्ञेयं ॥ ए पाठनो नावार्थ पूर्वनी पेठे जाणवो. एमां पण विस्तारे देववंदन निषेध्या ॥ तथा सुविहित शिरोमणि श्री प्रद्युम्नसूरिजीकृत समाचारीमां पण प्रति क्रमणना आयंतमा जघन्योत्कृष्ट चैत्यवंदना कही ले पण विस्तारे कही नथी.
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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