________________
चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंको झारः ५७१ संध्याप्रतिक्रमणे ५ सुश्रणत्ति संस्तारकवेलायां पौरुषी पाउनाऽवसरे ५ पडिबोहति प्रतिबोधो प्रातःसमये जाग रिताऽनंतरं क्रियाकरणसमये ७ एषा प्रतिबोधकालिकी चैत्यवंदना एषा सप्तधा चैत्यवंदना साधोरितिगाथार्थः ॥६॥ ए पाठमां श्री महानिशीथोक्त त्रणकालनी चैत्यवंदना बीजी चैत्यवंदना मध्ये गणी डे तेथी जिन चैत्यनी चैत्यवंदना यथाशक्तिए सर्वत्र काणे नव प्रकार नी जाणवी ने शेष प्रतिक्रमणनी आयंत प्रमुख चैत्यवं. दना जघन्य तथा जघन्योत्कृष्ट चैत्यवंदना जाणवी.
॥ प्रश्न ॥सातवेलानी चैत्यवंदनामा प्रतिक्रमणना आद्यंतनी चैत्यवंदना सामान्य प्रकारे क्या कही?
॥ उत्तरः ॥ पूर्वाचार्यकृत अनेक ग्रंथोमां कही ने ते ग्रंथोना केटलाएक दाखला लखीए बीए॥त्यां प्रथमश्री अमदावादमां पांजरापोलमध्ये शेठ हछीसिंह केशरीसिंहजीना धर्म उपाश्रयमां शेठ जयसिंहलाई हठीसिंहजी. ना ज्ञानमारमा पूर्वाचार्यरुत षडावश्यक बालावबोधनी जूनी प्रतमां सातवेलानी चैत्यवंदना मध्ये प्रतिक्रमण नीबायंत चैत्यवंदना सात प्रकारे एटले जघन्य प्रकारे कही ते बालावबोधनी नाषा जेम डे तेम लखीए बीए॥ "अथ चैत्यवंदनाधिकार प्रारभ्यते ॥ साधु माहात्माने सात वार चैत्यवंदनाकरवी दिनप्रति करवी ते किम कुसु