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चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोझारः ५१७ ॥॥ थुइ त्रीजीमां वजशृंखलादेवीने (आनमः) कहेतां निरहंकारपणे वंदन थाना॥थ चोथीमां रोहिणी नामे अधिष्टायक देवीने (नमः) कहेतां वंदन कर ॥॥ थुइ पांचमीमां कालिनामादेवी (मां) कहेतां मने प्रवतात् कहेतां रहाण करो॥५॥ थुइ बठीमां गंधारिनामे देवीना वज १ मृसत आयुधो अत्यंत जय शील ॥६॥ सातमीमां मानसी देवी तुं नक्तोनुं रदण कर ॥॥थुइ प्रातमीमां वजांकुशिनामे देवी प्राणियोना तनु रक्षण माटे 'प्रयत्न' कहेतां उद्योग कर ॥ ७ ॥ थुइ नवमीमां ज्वननायुधनामे देवी नव्यने 'क' कहेतां सुरखने पापो ॥॥ थ६ दशमीमां मानवी नामे देवी ते जय पामो ॥ १०॥ थुइ अग्यारमीमां महाकाली देवी उत्कृष्टपणे जयवंत रहे ने ॥११॥ थुइ बारमीमां शांतिदेवी नामे देवी जगतने विषे तु जे 'दमा' कहेतां नपशम तेनो लान, अथवा दमा कहेतां पृथ्वी तेनो लान उत्पन्न करो ॥१२॥ थुइ तेरमीमां 'रोहिणी' नामे देवी ते अ. त्यंत उत्कृष्टपणे नजनशील एवी एटले नजन करवा योग्य ले ॥१३॥थ चौदमीमां अच्यता नामे देवी 'क' कहेतां सुखने दिशतु कहेतां समर्पण करो ॥१४॥ पन्नरमीमां प्राप्ती नामे देवी ते 'वः' कहेतां तमाराला नने करो॥१॥थुइ सोनमीमां ब्रह्मशांतिक नामा यद