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________________ ५१६ परिच्छेदः १३ त्रीजी श्रुतज्ञाननी,एवी रीते चोवीतरी बोतेर थुइ रचीने अने चोथी श्रुतदेवी विद्यादेवी प्रमुखनी २४ थुइ रची डे तेमां सर्वत्र वंदन पूजन सहाय प्रमुख ग्रहण कस्यां , तथा संसारावस्थामां श्री धनपालपंमितना सगा नाइसंवत् १०२ए मां थयेना श्री शोननाचार्य महामनि थया,तेमणे श्री बप्पनट्टिसरिजीनी पेठे चोवीतरी वोतेर थुझ्यो रची डे अने चोथी श्रुतदेवी मानसी प्रमुखनी २४ थुइ रची डे ते चोवीशे थुझ्योमां अनुक्रमथी श्रुत देवता, मानसी, वजशृंखला, रोहिणी, काली, गंधारी, महामानसी, वजांकुशी, ज्वलनायुझा, मानवी, महाकाली,श्रीशांतिदेवी,रोहिणी,अच्युता,प्राप्ति, ब्रह्मशांतियद, पुरुषदत्ता, चक्रधरा, कपर्दियद, गौरी, कालि, अंबा, वैरोट्या, अंबिका, एमनी थुझ्योमां वंदन प्रमुख करी शत्रुनाश प्रमुख सहायता वांदी ते पूर्वोक्त देवताननी स्तवना करीने,तेमना पाठ ग्रंथगौरवताना नयथी लरख्या नथी. तथापि ते चोवीस थुश्योनो नाव रक्षण प्रमुख सहाय्यादिकनो जेम ले तेम अनुक्रमे जणाविए लिए। त्यां प्रथम थुश्मा जे कमनने विषे भ्रमराननी पंक्ति सु. गंध युक्त परागर्नु सेवन करती हवी, ते कमलने विषे स्वकीय चरण स्थापन करनारी श्रुत देवता तमारूं रहाण करो ॥१॥ थु बीजीमां मानसीनामे देवी सुखने आपो
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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