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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धारः २५५ अर्थपाठ सहित लखाइ आवेली, श्रीव्यवहारनाष्यनी गाथामां, तिनि वा कह थुए वाक्यथी त्रएर थु प्रणिधानपर्यंत उत्कृष्ट चैत्यवंदना ए पूर्वोक्तत्रणे चैत्यवंदनानी एकत्र संकलना श्रीनद्रबाहुस्वामीकृत वंदन पयन्नामां बे, एरीते विशेष प्रकारे, पूर्वधरकृत ग्रंथोमां जघन्यमध्यम नत्कृष्ट त्रणजेदनी चैत्यवंदनाने अनुसारे पूर्वधर वर्तमानकालवर्ति जिनशासनननोमणि श्वेत पहाचार्य श्रीहरिनद्रसूरिजी पण श्री पंचाशक प्रकरणमा जघन्य मध्यम उत्कृष्ट त्रणनेदनी चैत्यवंदना लखे जे. ते प्रकरणनी टीका कर्त्ता सुविहितशिरोमणि नवांगवृत्ति. कारक श्रीमत्यनयदेवसूरिजी वंदन पंचाशकमा जघन्य १ मध्यम ५ उत्कृष्ट ३ चैत्यवंदना त्रण थुश्थी लखे . ते पाठ-पवकारणजहन्ना दंडगथुइजुबानमनि माणेया संपुन्नानक्कोसा विहिणा खनुवंदणा तिविहा १ व्याख्या-नवकारमाह ॥ ॥नमस्कारेण सिह मरुयमणिंदियमक्कियमणवधमनुयंवीरं पणमामि सयलतिहुयण मन्वयचूमामणि सिरसेत्यादि पाठपूर्वकनमस्क्रिया लक्षणेन करणजूतेन क्रियमाणा जघन्या स्वल्पा पाक्रिययोरल्पत्वात्वंदना नवतीति गम्यं. मुत्कर्षादित्रिनेदमित्युक्त्वापि यऊपन्यायाः प्रथमानिधानं तदादिशब्द स्य प्रकारार्थत्वान्नऽष्टं. तथा दंडकचा रहंतचेश्याणमित्या.
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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