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परिच्छेदः ७ ॥यक्तं ॥ सीलेहमखफलए इयारेचोइतितंतुमाईसु अनिजोतिसवित्तिसु अणिवाफेतदीसंता॥१॥निस्सकममनिस्सकमेवावि चेएसव्वहिंथु तिन्नि वेलंवचश्याणंच नाउएक्विक्कियावावि २ इतिगतार्थाः॥
नाषा-श्रावप्रकारनी जिनप्रतिमानी पूजा करवी एवं कर्वा माटे ते पूजा केवी होय ते कहे जे गुरुकारियाए, गाथानो अर्थ एम के कोइक तो एम कहेले के मातापितादिके करावेली जिनप्रतिमा पूजवी अने बीजा एम कहे के पोतानी करावेली प्रतिमा पूजवी केटलाएक विधिए करावेली प्रतिमा पूजवी एम सामान्ये करीने लोकनां मनना थएला विकल्प देखाम्या पण नावार्थ इहां एम के अधिकारीए करावेली प्रतिमा तथा अनधिकारी एटले बीजे कोइए करावेली अथवा विधिए करेली अथवा जातमूल थएली एटने जेमतेम थएली मरजीभावे एवी कोइ पण जिनप्रतिमा ते सर्वे पण विवेकी लोके पूजवी इहां जे कोइ एम कहे के अधिकारमा ए नथी माटे एनो अनुमोदननो दोष संनवे एम कहे तेने कहीए शहां एम न विचार केमके जिनवचन तेज प्रमाण जे माटे नाष्यकार एम कहे के असंविज्ञचैत्यमांजे प्रतिमा तेना नपर जो जालादिक होय तो त्यां पूजारा प्रमुखने साधु ले ते एम कहे अरे तमे