SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५१६ परिच्छेदः ७ माने तेना मतमांत्रण सूत्र थुइनीज चैत्यवंदना माने तेथी एज शतपदीग्रंथना १५मा प्रश्रोत्तरमां ॥ागमे यतिनां स्तुतित्रयेणैव चैत्यवंदनोक्ता ॥ए कहेवाथी साधने त्रण थुइएज चैत्यवंदना कही तो चोथी थुइ तो ए ग्रंथना अनिप्रायथी सूत्र निषेधथइ तथा मृतकसाधुना परत वावाला साधु चैत्यघरमां प्रथम परि हीयमान त्रण थुइथी चैत्यवंदना करीने प्राचार्यने समिपेरियावहि पनि क्वमिने अविधिपारिठावणियानो कायोत्सर्ग करे तेवारपड़ी मंगलपन॥ तेवारपनी अन्यत अपि बेस्तवहीय मान कहे एटले मंगलशांतिनिमिते अजितशांतिप्रमुख स्तवन कहे ए कल्पसामान्यचूर्णिना कथनमा प्रथम त्रण थुश्थी हीयमान चैत्यवंदना करीने अविधिपारिहावणियानो कायोत्सर्ग करयां पड़ी मंगलशांतिनिमित्ते अजितशांतिप्रमुख स्तवन कहवां कह्यांधने कल्पविशेष चूर्णि तथा कल्पहत्नाण्यावश्यकवृत्तिमा प्रथम शांति निमित्ते अजितशांतिस्तवन कही पड़ी हीयमान त्रण थुइ तथा अविधिपारिघावणियानो कायोत्सर्ग करवो कह्यो एअन्यथाव्याख्यान संनवे पण बृहत्कल्पचूर्णि तथा आवश्यकवृत्तिकारना तिन्नि वा थुझ्यो ए वाक्यमा वा शब्दग्रहणकरवाथी चैत्यवंदनाने अनंतर अजितशांति स्तवन कहेवो भने अजितशांतिस्तवन न कहे तो ते
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy