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________________ १७२ परिच्छेदः ७ मंमनसृरिजीएं जेमगणधर पूर्वधरोनी सादीएं श्रुतखेत्रदेवतानो कायोत्सर्ग सिह कस्यो तेम गणधर पूर्वधर याचरणां सादीए श्री प्रवचन सारोझार वृत्तिकार श्री सिझसेनसूरिजी पण चोथी थुश्नो कायोत्सर्ग तथा थुइ सिह करत पण गणधर पूर्वधर साझीएं, ए चोथी थुइ तथा चोथी थुझ्नो कायोत्सर्ग सिह नथी तेथी जे पूजादि विशिष्ट कारणे चोथी थुइ न माने तेने समकाववा श्रीसिइसेनसूरि मूल गणधरना कथन कस्या समान गीतार्थ आचरणा करवी योग्य जे एम कही गीतार्थ आचरणा सिझकरी पण पूर्वधरना कथननी सादी न बतावी अने शास्त्रमा उत्कृष्ट गीतार्थ पूर्वधर कह्याने तेथी चोथी थुइ जघन्य गीतार्थ आचरणाए डे केमके श्रीमहानिशीथमां चैत्यवंदननां सूत्र त्रणथुश्नां कह्या पण वेयावच्चगराणं चोथी थुनुं सूत्र कर्वा नथी तथा पंचाशक वृत्तिकारे चोथी थुइ नवीन कही जो गराधर पूर्वधरोनी आचरणा होय तेने गीतार्थ नवीन थाचरणा कहे नही तेवास्ते विचार करवो जोइए के गाधर पूर्वधर प्रागमोक्त आचरणाएं चाल्यां थाव्यां त्रण थुश्नां सूत्र तथा त्रण थुश्नो निषेध करवावालो मिथ्यात्वनो हेतु दीर्घसंसारी विनां बीजो शुं था शके. प्रश्न-पूर्वधरोक्त आगममा जेम शकस्तवादिक चै
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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