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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धारः १६१ उत्तर-हेलव्य कुवामे होय तो अवामामां आवे तेंम सूत्रमा होय तो ग्रंथमां आवे तेथी मूलसूत्रमा चैत्यवंदनना सूत्रने स्तव तथा स्तुति कहिने बताव्यांजे ने ग्रंथामां आचार्योए दंझक कहिने बताव्यां तेथी चैत्यवंदननां सूत्र स्तुति स्तवने पर्यायांतर संज्ञाए दमक पण केवाय. ___ प्रश्न-पूर्वधरोंना कोई ग्रंथमां स्तवने दमक कही बताव्यो बे के नही? उत्तर-चतुर्दश पूर्वधर श्रुतकेवली श्रीनद्रबाहुस्वांमिजी कृत वंदन पयन्नामे अरिहंतस्तवने दमक कही बताव्यो ने तेथी तुलादंमन्यायें करी आतनास्तवने दंझक संझा गणाय ने वली सूत्र तथा पूर्वाचार्योना ग्रंथोंमां दंझक नाम पाठ अथवा दंग इव दंमा सरला इत्यर्थः एटले दंमनि पठे दंमते सरल पाउनु कहतेनुं नाम दमक, ए वचनथी शक्रस्तव १ अरिहंतस्तव २ नामस्तव ३ चैत्यस्तव ४ श्रुतस्तव ए ए स्तवोंने सरल पणे सूत्रपाठे बोलवा तेज सूत्रन्याये पांच दंमक संनवे डे पडे बहुश्रुत निरीह पणे सूत्रन्याये कहे ते प्रमाण. प्रश्न-श्रीमहानिशीथमां तो चैत्यवंदनानां सूत्र स्तव च्यार कह्या पण “सबलाए अरिहंतचेश्याएं"
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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