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________________ परिच्छेदः ६ - - ___४६ ॥ ५० ॥ लघुनाष्यश्रीदेवेंद्रसूरीकृत, एमां पूजादिविशिष्टकारणे चोधी थुइ कही ते प्रमाणे आत्मारामजी मानता नथी ॥ धर्मरल वृत्ति ? वृंदारवृत्ति २ लघुनाष्य३ ए ग्रंथना कर्त्ता श्रीदेवेंद्रसूरि तपागजमां विक्रम संवत् १३ मां था तेन्नाकरेला श्राइदिनरुतवृत्ति प्रमुखमा | जिनगृहमां त्रण थुएं तथा पूजादि विशिष्ट कारणें व्यारथुएं चैत्यवंदना कही ने सामायिक लेतां श्रावकने प्रथम करेमि नंते ने पडे रियावही करवी कही ते प्रमाणे आत्मारामजी मांनता नथी. - - - ४७ ॥ ७ ॥ प्रवचनसारोछार सूत्रवृत्ति श्रीनेमि चंद्रसूरिकत मूल, श्री सिझसेनसूरि कत वृत्ति. - - - - ४ ॥ २५ ॥ पुनःप्रवचनसारोक्षार सूत्रम्. ४ए ॥ २२ ॥ पुनःप्रवचनसाराझार सूत्रवृत्ति. ५० ॥ २६ ॥ पुनःप्रवचनसारोझार वृत्ति. एच्यारे तेकांणे नाम लख्यां पण ग्रंथ मूलने
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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