________________
अध्याय - ।
कवि का ऐतिहासिक परिचय ग्रन्थकार का समय, स्थान, वंश व्यक्तित्व एव कृतित्व
भारतीय संस्कृत वाङमय के अनेक लेखक जिसमे विशेष रूप से प्रारम्भिक
काल के लेखक इतने नि स्पृह एव गर्व शून्य रहे है कि उच्चकोटि के ग्रन्थ निर्माण करने पर भी अपने जीवन वृत्त के विषय में कहीं भी कुछ नहीं लिखा । अपनी प्रसिद्धि के विषय मे तो उन्होंने कभी सोचा ही नहीं । इसी कारण अनेक संस्कृत लेखकों का साहित्य मे स्थान निर्धारण करने के लिए इतिहासकारों को निश्चित प्रमाणों के अभाव मे विविध उपायों का आश्रय लेना पडता है । इन उपायों को स्थूल रूप
से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है ।
।
किसी एक कवि के समग्र ग्रन्थों मे उपलब्ध परिस्थितियों एव लेखों का
आधार । जिसे अन्तर्साक्ष्यों का भी आधार कहा जा सकता है ।
121
दूसरे अनेक ग्रन्थों के उल्लेखों, शिलालेखों एव उद्धरणों का आधार जिसे
वाह्य साक्ष्यों का आधार कहा जा सकता है ।
किसी कवि या ग्रन्थकार के जीवन-काल को निर्धारित करने के लिए दोनों ही प्रकार के उपायों का आश्रय लिया जा सकता है । कोई भी कवि या ग्रन्थकार अपने समय की सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, साहित्यिक तथा अन्य परिस्थितियों से पृथक नही रह सकता । यदि कोई कवि न चाहे तो समाज, राजनीति, धर्म, साहित्य
आदि तत्व उसके ग्रन्थों मे अदृश्य रूप से समाहित हो जाते है ।
और जो कवि
अपने चारों ओर के वातावरण पर अपनी दृष्टि अच्छी तरह डालकर ही अपने ग्रन्थों