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इन्होंने जातिगत नियम का उल्लेख मात्र किया है इसके उदाहरण नहीं दिए ।
इसके अतिरिक्त स्वर्ग - पातालीय कवि - रहस्य की भी स्थापना की है । पार्थिव कवि - समय की भाँति स्वर्गीय कवि - समय भी है । जो इस प्रकार है -
चन्द्रमा मे खरगोश व हरिण की एकता ।'
कामदेव के ध्वज चिन्ह को कहीं मकर और कहीं मत्स्य के रूप मे वर्णत करना ।
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चन्द्रमा की उत्पत्ति अत्रि ऋषि के नेत्र से तथा कहीं समुद्र से वर्णित
करना 13
अनग काम का मुक्तरूप से वर्णन करना 14
द्वादश आदितयों को एक ही समझना ।
नारायण व माधव की एकता 16 दामोदर, शेष व कूर्मादि मे तथा कमल व सम्पदा मे एकता ।। नाग व सर्प की एकता 18
दैत्य दानव व असुर तीनों भिन्न जाति के है जैसे - हिरण्याक्ष, हिरण्यकशिपु, प्रह्लाद, विरोचवति, बाप आदि दैत्य है । विप्रचित्ति, शबर, नमुचि ,
काव्यमीमासा - पृष्ठ - 218, अध्याय - 16 वही - पृष्ठ - 219 वही - पृष्ठ - 220 वही - पृष्ठ - 221 वही - पृष्ठ - 222 वही - पृष्ठ - 222 वही - पृष्ठ - 230 वही - पृष्ठ - 223