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सरोवर के वर्णनीय विषय
आचार्य अजितसेन ने सरोवर मे कमल, तरग, कमल पुष्प तोडना, गज
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क्रीडा, हस हसी, चक्रवाक - भ्रमर तथा वीर प्रदेश मे स्थित उद्यान लता, पुष्पादि के वर्णन की चर्चा की है ।
अजितसेन के पूर्ववर्ती आचार्य राजशेखर ने भी जलाशय मात्र मे हसादिपक्षियों के वर्णन की चर्चा की थी । अत अजितसेन के सरोवर विषयक वर्णन पर राजशेखर का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है । 2
परवर्ती काल मे विश्वनाथ ने भी राजशेखर के विचार को सादर स्वीकार कर लिया । 3
समुद्र के वर्णनीय विषय
अजितसेन समुद्र मे विद्रुम, मणि, मुक्ता, तरग, जलपोत, जल हस्ति, मगर, नदियों का प्रवेश और सक्षोभ चन्द्रोदय जन्म हर्ष, कृष्ण कमल, गर्जन इत्यादि का वर्णन करना आवश्यक बतलाया है 14 परवर्ती आचार्य केशवमिश्र ने भी उक्त वर्णनीय विषय का उल्लेख किया है । जिसपर आचार्य अजितसेन कृत समुद्र के वर्ण्य विषय का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है 15
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सरोवरेऽब्जभगाम्बुल हरीगजकेलय । हसचक्रद्विरेफाद्यास्तीरोद्यानलतादय ।।
जलाशयमात्रेऽपि हसादय । काव्यमीमासा तोयाधारेरिवलेऽपि प्रसरति मरालादिक पक्षिसम्भो । अब्धौ विद्रुममुक्तोर्मिपोतेभमकरादय । सरित्प्रवेशसक्षोभकृष्णाब्जाध्मायितादय ।।
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अ०च० 1/40
अध्याय 14, पृ0-198
अब्धौ द्वीपाद्रिरत्नोर्मिपोतयादोजलप्लवा । विष्णु कुल्यागमश्चन्द्राद्धद्धिर्वोऽब्द पूरणम् ।
सा0द07/32
अ०चि०- 1/4 1
अ० शे०
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