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________________ और सभिन्न भेद से तीन प्रकार का यौगिक शब्द भी शुद्ध मूलक स्वीकार किया गया है ।' शुद्ध यौगिक. प्रत्यय शब्द स्थिति है क्योकि स्थान स्थिति शब्द स्थिति है क्योंकि स्थान स्थिति मे 'स्त्रियाँ क्तिन्' से क्तिन् प्रत्यय होकर निष्पन्न है । अत प्रकृति प्रत्यय का योग स्पष्ट प्रतीत हो रहा शुद्ध मूलक यौगिक लसद् तथा दीप्ति शब्द. यहाँ लसद् तथा दीप्ति शब्दों से बने हुए के कारण विशेषता है । सैभिन्न यौगिक शब्द: जैसे- मार्कण्डेय । यहाँ मृकण्डु के अपत्य को मार्कण्डेय कहा गया है। रूढयौगिक शब्द. रूढ और योग से नि सृत होते हैं जैसे- जलधि, जलज, दुग्ध, वारिद स्वर्गभूरूह इत्यादि । इसमें रूढ और यौगिक दोनों का मिश्रण है 12 उपर्युक्त त्रिविध प्रकार के शब्दों के अर्थ की प्रतीति अभिधा व्यापार से ही होती है । पण्डतराज जगन्नाथ ने भी अभिधा शक्ति के द्वारा जिन वाचक शब्दों का बोध होता है उनके तीन भेद किए हैं - खढि यौमिक और योगरूढ़ि इनको रसगगाधरकार ने केवल समुदायशक्ति, केवलावयव शक्ति तथा समुदायावयव शक्ति सकर कहा है । 'सेयमभिधा विधा केवलसमुदायशक्ति , केवलावयवशक्ति सकरश्चेति । समुदायावयवशक्ति - - - - - - - - - - - अ०चि0, 5/148 तन्मिश्रोऽन्योऽन्यसामान्यविशेषपरि वृत्तत । जलधिर्जलज दुग्धवारिधि स्वर्गभूरूह ।। अचि0, 5/149 0ग0, द्वितीय आनन, पृ0 - 126
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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