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रस तथा उनके स्थायीभाव
रस नाम
रस भेद -----------
स्थायी भाव
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श्रृगार
सभोग व विप्रलम्भ
रति
हास्य
हास
करूप
शोक
रौद्र
क्रोध
वीर
दान, दया, युद्ध
उत्साह
भयानक
भय
वीभत्स
जुगुप्सा विस्मय
अद्भुत
शान्त
निर्वद
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इन्होंने प्रत्येक रस के आलम्ब तथा उददीन विभावों का भी उल्लेख किया है 12 इसके साथ ही रसों के परस्पर विरोध की भी चर्चा की है । जो इस प्रकार है
श्रृंगार और वीभत्स वीर और भयानक रौद्र और अद्भुत हास्य और करूण
रसों के वर्ण और देवता का भी उल्लेख किया है । 4
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वही, 5/83-85 अचि0, 5/106 से 129 तक अचि0, 5/130 वही, 5/132-133