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परस्पर मिले हों वहाँ सकर अलकार होता है । इन्होंने इसके तीन भेदों का
उल्लेख किया है ।
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आचार्य रुय्यक एव अप्पय दीक्षित एव विद्यानाथ की परिभाषा अजितसेन से प्रभावित है 12
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स्वजातीयाविजातीयअगागिभाव सकर
एकशब्दप्रवेश सकर
सन्देह सकर
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क्षीरनीरवदन्योन्यसंबन्धा यत्रभाषित । उक्तालकृतय सोऽय सकर कथितो यथा ।।
(क) नीरक्षीरन्यायेन तु सकर ।
(ख) नीरक्षीरन्यायेनास्फुटभेदालकारमेलने सकर I
(ग) नीरक्षीरनयाद्यत्र सबन्ध स्यात् परस्परम् । अलकृतीनामेतासां सकर स उदाहृत ।।
अ०चि०, 4/337
अ०स०, सू0 - 86 कुव0 285
प्रताप०, पृ0 - 576